The Ultimate Guide To kismat ka upay
The Ultimate Guide To kismat ka upay
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अगर आप सच्चे मन और श्रद्धा से इन उपायों को विश्वास के साथ करते हुए चलते हैं तो कहीं ना कहीं आपकी किस्मत एक दिन रंग लाएगी क्योंकि जब व्यक्ति अपनी किस्मत चमकाने के उपाय करता है तो उसमें आस्था और विश्वास जुड़ जाता है और उसका परिणाम से मिल जाता है।
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बुध ग्रह आशुभ हो या कामजोर हो तो बुध को मजबूत बनाने के लिए हीरा अपने पास रखने से बुध मजबूत होता है।
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पीपल के पेड़ पर रोज जल चढ़ाने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपकी किस्मत के ग्रह दशा जो विपरीत हैं वह अनुकूल होते जाते हैं।
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लोग लोग अपने कर्म से ज्यादा भाग्य पर भरोसा करते हैं। हाथों में भाग्य रेखाएं होती हैं, उसी तरह कुंडली में नौवां स्थान भाग्य का माना गया है। हालांकि कर्म और भाग्य दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्म के सिद्धांत को समझे बगैर आप भाग्य को नहीं समझ सकते हैं। यदि किसी से यह कहा जाए कि भाग्य जैसा कुछ नहीं होता तो वह ऐसे कई उदाहरण बता देगा जिसमें भाग्य का रोल रहा है, जैसे किसी की लॉटरी खुल जाना, अचानक किसी का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन जाना, आसमान से गिरने के बाद में भी सही-सलामत बच जाना आदि। खैर...
हाथों में भाग्य रेखा- हाथों में भाग्य रेखा होती है। राहु या केतु पर्वत से निकलकर शनि या गुरु पर्वत की ओर जाने वाली रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं। भाग्य रेखा यदि सरल और स्पष्ट है तो व्यक्ति का भाग्य साथ देगा लेकिन यह रेखा यदि टूटी-फूटी और अस्पष्ट है तो कर्म पर ही निर्भर रहना होगा। यह भी मान्यता है कि यदि यह रेखा कलाई से निकलकर गुरु पर्वत में मिल जाए तो व्यक्ति बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली होता है लेकिन शनि पर्वत में मिल जाए तो भाग्य की कोई ग्यारंटी नहीं। लेकिन यदि आपके हाथ में यह रेखा है ही नहीं तो फिर क्या करें?
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घर का केंद्र रहे खाली : इस बात का ध्यान रहे कि आपके घर का केंद्रीय भाग या हिस्सा हमेशा खाली रहे। उस जगह पर कोई निर्माण नहीं करना चाहिए। इस जगह मंदिर जरूर बनवा सकते हैं। घर का यह हिस्सा ब्रह्मस्थान माना जाता है।
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें !
बाहर से जब भी आप घर में प्रवेश करें तो कभी खाली हाथ ना जाएं। घर में हमेशा कुछ ना कुछ लेकर प्रवेश करें। चाहे वह पेड़ का पत्ता ही क्यों न हो।